क्या आप ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में जानना चाहते हैं? क्या आप सोच रहे हैं कि इस रंग-बिरंगे, विदेशी फल को अपने खेत या बगीचे में कैसे उगा सकते हैं? आइए मिलते हैं कुलदीप सिंह से, जिन्होंने साउथ अफ्रीका में एक शानदार नौकरी छोड़कर हरियाणा के करनाल में राणा ड्रैगन फ्रूट फार्म शुरू किया। उनकी प्रेरणादायक कहानी और ड्रैगन फ्रूट की खेती के आसान टिप्स आपको इस बिजनेस में कदम रखने के लिए प्रेरित करेंगे। तो चलिए, जानते हैं ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में और कैसे आप इसे शुरू कर सकते हैं!
कॉरपोरेट से खेती तक: कुलदीप की कहानी
कुलदीप सिंह एक प्रोफेशनल इंजीनियर थे, जिन्होंने 13 साल से ज्यादा समय कॉरपोरेट दुनिया में बिताया। इसमें से 4 साल 8 महीने साउथ अफ्रीका के केप टाउन में हाइड्रोकार्बन डिवीजन में सीनियर इंजीनियर के तौर पर काम किया। उनकी सैलरी शुरू में 30 लाख रुपये सालाना थी, जो बाद में बढ़कर 42 लाख रुपये तक पहुंच गई। कंपनी रहने, खाने और ट्रैवल का खर्चा उठाती थी, जिससे उनकी बचत भी अच्छी थी। लेकिन फिर भी, कुलदीप ने यह सब छोड़कर भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की।
क्यों छोड़ी नौकरी?
- माता-पिता की सेवा: कुलदीप के माता-पिता की उम्र 60 साल से ज्यादा हो चुकी थी, और वे उनके साथ समय बिताना चाहते थे।
- खेती का जुनून: कुलदीप का परिवार हमेशा से खेती से जुड़ा रहा। साउथ अफ्रीका में उन्होंने ड्रैगन फ्रूट और एवोकाडो की खेती देखी, जिसने उन्हें प्रेरित किया।
- सफल शुरुआत: 2019 में आधा एकड़ से शुरू की गई ड्रैगन फ्रूट की खेती अच्छा मुनाफा देने लगी थी। जब उनका डेढ़ एकड़ का खेत पूरी तरह सेट हो गया, तब उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया।
ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे करें?
1. सही समय और जलवायु
- बेस्ट समय: उत्तर भारत में ड्रैगन फ्रूट लगाने का सबसे अच्छा समय फरवरी और मार्च है। इस समय न ज्यादा गर्मी होती है और न ज्यादा ठंड, जो पौधों के लिए आदर्श है।
- तापमान और नमी: ड्रैगन फ्रूट को 70% नमी और अच्छी धूप चाहिए। जून-जुलाई में मानसून शुरू होते ही फूल और फल आने शुरू हो जाते हैं।
- फल तैयार होने का समय: पौधा लगाने के 14-16 महीने बाद फल देना शुरू करता है। बड (फूल की शुरुआत) से फल पकने तक 50-55 दिन लगते हैं। नवंबर-दिसंबर में यह समय 65-70 दिन तक हो सकता है, क्योंकि धूप कम होती है।
2. जमीन और दूरी
- जमीन का प्रकार: ड्रैगन फ्रूट किसी भी तरह की जमीन में उग सकता है, लेकिन अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सबसे बेहतर है।
- पौधों की दूरी:
- लाइन से लाइन: कम से कम 10 फीट।
- पोल से पोल: 7-8 फीट। 8 फीट दूरी रखने से हवा का आवागमन और देखभाल आसान होती है।
- पोल और पौधे: एक एकड़ में 500-535 पोल लगते हैं, और प्रत्येक पोल पर 4 पौधे, यानी कुल 2000 पौधे।
3. खेती का तरीका
- पोल सिस्टम: यह नये किसानों के लिए सबसे आसान और पारंपरिक तरीका है। इसमें कंक्रीट या टायर के रिंग के साथ पोल लगाए जाते हैं।
- ट्रेलिस सिस्टम: अनुभवी किसानों के लिए, जिसमें तार या पाइप का उपयोग होता है। यह हाई-डेंसिटी खेती है, लेकिन ज्यादा देखभाल और प्रूनिंग की जरूरत होती है।
- सुझाव: नए किसानों को पोल सिस्टम से शुरू करना चाहिए।
4. पानी और खाद
- ड्रिप इरिगेशन: ड्रैगन फ्रूट के लिए सबसे अच्छा। गर्मियों में पानी कम करना चाहिए, क्योंकि यह कैक्टस परिवार का पौधा है और अपने पत्तों में पानी जमा करता है।
- फ्लड इरिगेशन: इससे बचें, क्योंकि ज्यादा पानी से पौधे को नुकसान हो सकता है और फंगस का खतरा बढ़ता है।
- खाद और स्प्रे: वेजिटेटिव ग्रोथ के दौरान बायो-कीटनाशक और फंगीसाइड का इस्तेमाल करें। फल आने पर स्प्रे न करें।
5. खर्चा और मुनाफा
1. खर्चा:
- पोल और रिंग: अगर खुद बनाएं तो 2.5 लाख रुपये। बाजार से लें तो 4.5-5 लाख।
- पौधे: 2000 पौधे (प्रति पौधा 50-100 रुपये) = 1-2 लाख रुपये।
- ड्रिप सिस्टम: 20-22 हजार रुपये (सब्सिडी के साथ)।
- कुल खर्चा: 4.5-6 लाख रुपये (प्रति एकड़)।
2.मुनाफा:
- पहले साल में 2-3 टन फल प्रति एकड़।
- होलसेल रेट: 100-160 रुपये/किलो (सीजन के हिसाब से)।
- रिटेल रेट: 250-300 रुपये/किलो।
- कुल कमाई: 23 लाख रुपये (कुलदीप के डेढ़ एकड़ फार्म से, सिर्फ फल बिक्री से)।
6. मार्केटिंग टिप्स
- स्थानीय बिक्री: स्थानीय फल दुकानों और वेंडर्स को सीधे बेचें।
- आजादपुर मंडी: होलसेल के लिए अच्छा विकल्प, लेकिन रेट 80-100 रुपये/किलो तक सीमित रहता है।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म: कुलदीप एक वेबसाइट और ऐप विकसित कर रहे हैं, जहां किसान मुफ्त में रजिस्टर कर अपने फल बेच सकते हैं। यह पिनकोड आधारित सेंट्रलाइज्ड सिस्टम होगा, जिससे ट्रांसपोर्टेशन लागत कम होगी।
कुलदीप का अनुभव: प्रेरणा और सफलता
कुलदीप ने सिर्फ ड्रैगन फ्रूट की बिक्री से नहीं, बल्कि नर्सरी (70,000 पौधे बेचे), फ्रूट कवर बैग, और दवाइयों की सप्लाई से भी कमाई की। पिछले साल उनकी कुल कमाई 25-30 लाख रुपये रही। वे कहते हैं, “मैं विदेश की नौकरी छोड़कर खुश हूं। अपने देश की मिट्टी और माता-पिता की सेवा का कोई जवाब नहीं।”
ड्रैगन फ्रूट की खेती क्यों शुरू करें?
- 25 साल की फसल: एक बार लगाएं, लंबे समय तक कमाई करें।
- कम पानी: कैक्टस परिवार का होने से पानी की कम जरूरत।
- अच्छा मुनाफा: परंपरागत फसलों (गेहूं, गन्ना) से ज्यादा कमाई।
- बढ़ती मांग: भारत में ड्रैगन फ्रूट की डिमांड तेजी से बढ़ रही है।
खर्चा और मुनाफे की तालिका (प्रति एकड़)
खर्च का प्रकार | लागत (लाख रुपये में) |
---|---|
पोल और रिंग (खुद बनाएं) | 2.5 |
पोल और रिंग (बाजार से) | 4.5-5 |
पौधे (2000) | 1-2 |
ड्रिप सिस्टम | 0.20-0.22 |
खाद और मजदूरी | 0.30-0.50 |
कुल खर्चा | 4.5-6 |
मुनाफा | विवरण |
---|---|
प्रोडक्शन (पहला साल) | 2-3 टन |
होलसेल रेट | 100-160 रुपये/किलो |
रिटेल रेट | 250-300 रुपये/किलो |
संभावित कमाई | 20-25 लाख रुपये |
शुरू करें अपनी ड्रैगन फ्रूट की खेती!
क्या आप भी ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करना चाहते हैं? कुलदीप जैसे किसानों की कहानी से प्रेरणा लें और आज ही पहला कदम उठाएं। छोटे स्तर से शुरू करें, जैसे 10-100 पोल, और धीरे-धीरे अपने खेत को बढ़ाएं। अगर आपको और जानकारी चाहिए, तो कुलदीप की नर्सरी से संपर्क करें या उनकी वेबसाइट पर रजिस्टर करें।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
- इस लेख को लाइक और शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान भाई ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में जान सकें।
- कमेंट में बताएं कि आप इस खेती को कैसे शुरू करना चाहेंगे।
- अधिक जानकारी के लिए @kisaanmitra पर जाएं।
जय जवान, जय किसान!
अपने देश की मिट्टी से जुड़ें और ड्रैगन फ्रूट की खेती के साथ नई शुरुआत करें!