किसान भाइयों अक्टूबर में करें बाकला की खेती, कम खर्च में मोटी कमाई का मौका!

किसान भाइयों अक्टूबर में करें बाकला की खेती, कम खर्च में मोटी कमाई!

सब्ज़ी की खेती

भाइयों, अगर ठंडी में ऐसी फसल चाहत हो जो कम खर्च में ढेर सारा मुनाफा दे, तो अक्टूबर में बाकला की खेती एकदम सही है। बाकला, यानी कि फावा बीन या काली मटर, हरी फली और दाल दोनों के लिए बिकत है। यूपी, बिहार, पंजाब, हरियाणा के गांवों में लोग इसे खूब बो रहे हैं।

ठंडी हवा में ये फसल खूब लहलहात है। मंडी में इसकी मांग हमेशा रहत है, और अक्टूबर में बोकर फरवरी तक फसल तैयार। हम आसान देसी भाषा में बतावत हैं, ताकि हर किसान भाई समझ लेए। चलो, जानते हैं अक्टूबर में बाकला की खेती का पूरा हिसाब-किताब।

बाकला की खेती: का है ये और फायदा का?

बाकला एक दलहन फसल है, जो खेत की मिट्टी को ताकत देत है, काहे कि ये नाइट्रोजन बढ़ावत है। हरी फलियां सब्जी बनत हैं, और सूखा बीज दाल। मंडी में हरी फलियां ₹30-50/किलो और दाल ₹60-80/किलो तक बिकत है। अक्टूबर में बाकला की खेती ठंडी में (15-25 डिग्री) बढ़िया फलत-फूलत है। एक बीघा (लगभग 0.4 एकड़) से 2-3 क्विंटल हरी फलियां या 1.5-2 क्विंटल दाल निकलत है। मुनाफा ₹4,000-12,000 तक हो सकत है।

अक्टूबर में बोने का सही तरीका

बोने का टाइम: अक्टूबर का पहला हफ्ता से नवंबर शुरू तक। ज्यादा देर करी तो फसल पतली रहेगी।

  • मिट्टी: दोमट या रेतीली मिट्टी, जो पानी न ठहरे। मिट्टी टेस्ट करवा लो (pH 6-7)।
  • खेत तैयार करना: 2-3 बार हल चलाओ, 3-4 टन गोबर की खाद डालो। पानी निकासी ठीक रखो, ना तो जड़ गल जाएगी।
  • बीज: एक बीघा में 15-20 किलो बीज। राइजोबियम दवा से बीज भिगो लो।
  • बोना: लकीरें 30 सेमी दूर, बीज 10-15 सेमी गहरा डालो। पौधों में 10 सेमी गैप रखो।
  • पानी: बोने के 15-20 दिन बाद पहला पानी। फिर हर 10-12 दिन बाद, मौसम देखकर।
  • खाद: बोते वक्त 5-7 किलो नाइट्रोजन, 15-20 किलो फॉस्फोरस, 7-8 किलो पोटाश। DAP Urea New Rate 2025 (DAP ₹1,350/50kg, यूरिया ₹242/45kg) का फायदा लो।

फसल 90-100 दिन में तैयार। हरी फलियां 10-12 सेमी की होने पर तोड़ो।

बाकला की टॉप किस्में

  • पूसा अर्ली: 80-90 दिन में तैयार, 2-3 क्विंटल/बीघा हरी फलियां।
  • HFB-1: बीमारी कम लगत है, 1.5-2 क्विंटल दाल।
  • देसी बाकला: ठंड झेल लेत है, छोटी फलियां।

बीज सरकारी दुकान या भरोसेमंद दुकान से लो।

कीड़ा-बीमारी से बचाव

  • कीड़ा (माहू): इमिडाक्लोप्रिड (5ml/10 लीटर पानी) छिड़क दो।
  • बीमारी: चॉकलेट स्पॉट या रस्ट आए तो मैंकोजेब (2g/लीटर पानी) डालो।
  • घास-पतवार: बोने के 20 दिन बाद और 40 दिन बाद गुड़ाई करो।

खर्चा और कमाई: हिसाब-किताब

अक्टूबर में बाकला की खेती में एक बीघा का खर्च ₹6,000-8,000:

  • बीज: ₹800-1,000 (15-20 किलो)।
  • खाद: ₹1,500-2,000 (DAP, यूरिया, गोबर)।
  • मजदूरी/पानी: ₹2,500-3,500।
  • दवा: ₹500-1,000।

कमाई:

  • हरी फलियां (2-3 क्विंटल) @ ₹30-50/किलो = ₹6,000-15,000।
  • दाल (1.5-2 क्विंटल) @ ₹60-80/किलो = ₹9,000-16,000।
  • मुनाफा: ₹4,000-12,000/बीघा।

बाकला के फायदे

  1. सस्ती खेती: 3-4 महीने में पइसा वापस।
  2. मिट्टी अच्छी: अगली फसल (गेहूं, सरसों) को फायदा।
  3. मांग: मंडी, होटल में अच्छा रेट।
  4. सेहत: प्रोटीन, आयरन से भरपूर।

शुरू कैसे करें?

  1. मिट्टी चेक: नजदीकी कृषि केंद्र पर फ्री टेस्ट।
  2. सब्सिडी: PM-KISAN या राज्य योजना से मदद लो।
  3. खाद खरीद: DAP Urea New Rate 2025 (यूरिया ₹242, DAP ₹1,350) का फायदा लो।
  4. हेल्प: 1800-180-1551 पर फोन करो।

बाकला की खेती लागत-लाभ (प्रति बीघा)

मदलागत (₹)विवरण
बीज800-1,00015-20 किलो, उपचारित
खाद1,500-2,000DAP, यूरिया, गोबर
पानी/मजदूरी2,500-3,5003-4 बार पानी, गुड़ाई
दवा500-1,000कीट-बीमारी की दवाएं
कुल खर्च6,000-8,000
उत्पादन2-3 क्विंटल हरी फलियां@ ₹30-50/किलो = ₹6,000-15,000
कुल कमाई6,000-16,000(हरी फलियां + दाल)
मुनाफा4,000-12,000प्रति बीघा
अक्टूबर में बाकला की खेती: FAQs

FAQs: अक्टूबर में बाकला की खेती के सवाल

Q1: बाकला कब बोएं?

जवाब: अक्टूबर शुरू से नवंबर पहले हफ्ते तक।

Q2: एक बीघा में कितना खर्च और कमाई?

जवाब: खर्च ₹6,000-8,000, मुनाफा ₹4,000-12,000।

Q3: बाकला की अच्छी किस्म कौनसी?

जवाब: पूसा अर्ली या HFB-1, ज्यादा फलत है।

Q4: कीड़ा-बीमारी से कैसे बचाएं?

जवाब: इमिडाक्लोप्रिड या मैंकोजेब डालो।

Q5: फसल कब तैयार होत है?

जवाब: 90-100 दिन में, फरवरी तक फलियां तोड़ लो।

अक्टूबर में बाकला की खेती से कम पइसा में मोटी कमाई करो। अपने खेतिहर दोस्तों से शेयर करो, और बताओ का बोने का इरादा है! (सोर्स: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि मंत्रालय)

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